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Dr.Usha Dashora

Abstract Drama

4.8  

Dr.Usha Dashora

Abstract Drama

मेरी नस्ल की औरतें

मेरी नस्ल की औरतें

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यह उपले थापती औरतें ,जो रोज़

दाल उबालते हुए धुँए से झगड़ती हैं।


आकाश में फाइटर प्लेन उड़ाती औरतें,

जिनकें जन्म पर

घर में कभी लड्डु नहीं बँटे।


वो औरतें जो शाम को बच्चों को

होमवर्क करवाते हुए

सुबह के खाने की चिंता में डूबी रहती हैं।


वो सारी औरतें भी

जो आत्मविश्वास से सनग्लास लगा कर

टिक टाक करते हुए चलती हैं और....


आँसुओं को सनग्लास के पीछे ही

छिपा योद्धा बनती हैं।


सुनो,

कलफ़ लगी साड़ियों वाली

वे ढेर औरतें भी हैं

जो ऑफिस की तीखी नज़रों को

रोज़ हलक से नीचे उतारती हैं।


हाँ ....

वो औरते भी तो हैं

जो पति को

"तुमने खाना खा लिया"

बार-बार कहती हुई

इसे अपने "डी एन ए" में गाढ़ लेती हैं।


मेरी नस्ल की ये सारी औरतें

प्रसव पीड़ा को झेलते हुए

सृष्टि का सृजन करती हैं

और कई माँस के लोथड़ों को

इंस

ान बनाती हैं।


ये जो चल रहे हो ना

तुम दोनों पैरों पर,

तुम्हें चलना सिखाती हैं।


ये जो तुम बैठे हो ना अकड़कर

और पैर पर पैर धरकर,

तुम्हें बैठना सिखाती हैं।


सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए ये जो तुम

औरतों की पीठ पर गंदे ठहाके लगाते हैं

वही तुम्हें हँसना सिखाती हैं।


एक हजार-हजार किलो की गालियाँ

जो तुम औरतों के नाम से

तुम शुरू करते हो आश्चर्य....

वही तुम्हें बोलना सिखाती है।


इन्हीं औरतों की नस्लें तुम्हें जन्म देती हैं

इन्हीं औरतों की नस्लें तुम्हें साँस देती हैं।


और तुम देते हो इन औरतों को बस हादसे

इन सभी हादसों के बीच भी ...

इन्हीं औरतों की नस्ले तुम्हारे लिए

ऊँचे आसमान गढ़ देती है।


इन्हीं औरतों की नस्लें

तुम्हारे लिए मजबूत धरातल बनाती हैं

इन्हीं औरतों की नस्लें छीन लाती हैं

तुम्हारे लिए इंद्रधनुष के सारे रंग।


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