मेरी नाव
मेरी नाव
लहरों की मार से बहकती रहता हर बार
वो मेरी नाव,
जिधर भी जाती वहां ठोकर खाती मेरी नाव,
हर ओर से ठोकर खाती मेरी नाव,
जाने कहां जाती मेरी नाव।
लहरों के बीच में लहराती डगमगाती मेरी नाव,
जल भवंर में फँसती कभी,
तो कभी डूबने का डर सताती मेरी नाव,
हिम्मत के दो पतवारों से,
लक्ष्य की ओर बढ़ जाती मेरी नाव।
