मेरी मुमताज
मेरी मुमताज
आ जा कुछ पल ए जान ए तमन्ना ज़रा,।
ठहर के मैं देख लूं ए जान ए आरजू ज़रा ।
फिर तेरी जुल्फें परेशां संवारूंगा तभी,
दम तो लेने दे मुझे ए शाम ए मैखाना ज़रा ।
फिर कभी अगर मैं सताऊं तो मुझे तुम डांटना,
कह को तो देख एक बार मुझे दीवाना ज़रा ।
खो न जाऊं फिर कभी मैं इश्क की इस भीड़ में,
हाथ मेरा थामने एक बार तो आ जाना ज़रा ।