मेरी माँ
मेरी माँ
जीवन में जो राह दिखाए
उँगली पकड़ सही राह पर चलना सिखाए
कभी है शांत
कभी है धिर
कभी हमें है फटकाती
कभी हमें गले से लगाती
हमारे कोमल कोरे कागज़ पर
ज्ञान का लेप लगाती
हमें शिक्षा का भंडार है देती
हमें एक अच्छा इंसान बनाती
हमारे लिए दुनिया से लड़ जाती
हमारे दुःख वो सहती
मगर कभी उफ़ न करती
हमारे बुरे बर्ताव पर माफ़ कर देती
भगवान से पहला उसका दर्जा
कहते हम उसको माँ
जो है सबसे प्यारी
सबसे दुलारी
मेरी माँ।