बचपन बहुत सुहाना है
बचपन बहुत सुहाना है
बचपन बहुत सुहाना है
जहां होता है आंचल अपनी माँ का
जहां बचाने खड़े रहते हैं सब
जैसे होते हैं बड़े
हो जाते हैं हम अकेले
लड़नी पड़ती है खुद की जंग
हर समय होता है जिंदगी मैं संघर्ष
याद आता है बचपन को वोह समय
मन करता है फिर बच्चे बन जाते
जहां है न कोइ तक़लीफ़
हम होते है घर के राज कुमार
हाथों-हाथ रख जाता है
काश कभी हम बडे़ ही न होते
याद आरही है बचपन की
जिंदगी मैं हर पल संघर्ष है
हार जाते है हम लड़ते लड़ते
काश! बचपन लौट आता और हम
फिर बन जाते बच्चे।