मेरी कलम मेरी बेटी के कदम
मेरी कलम मेरी बेटी के कदम
याद रखती नहीं हारेगी,
हार गई तो बेटी के सवालों के कटघरे में खड़ी हो जाएगी।
दुनिया की परवाह मत कर,
औरत को तो हमेशा
इन सवालों से घीरें देखा है।
डट के मुकाबला करने का वक़्त ये हमारा है।
मां की आंखो का चमकता सितारा हूं मैं।
किसी की बूझदिली का परिणाम नहीं हूं मैं।
छोटी छोटी कहानियों से बनी मेरी एक कहानी हूं मैं।
अकेली नहीं अपनी बेटी की भी मां हूं मैं।
ख़ुद की तलाश, ख़ुद की मिसाल हूं मैं।
बेटी के सवालों का जवाब हूं मैं।
गुरूऱ नहीं स्वाभिमान हूं मैं।
अपने ख़ुद के सवालों का भी जवाब हूं मैं।