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भावना बर्थवाल

Abstract

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भावना बर्थवाल

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मेरी डायरी

मेरी डायरी

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मै मेरी डायरी अक्सर आपस में बात कर लेते हैं

दिन का लेखा जोखा आपस में कर लेते हैं

कुछ अनकहे लफ्ज़  आपस में बाट लेते हैं

एक सहेली की तरह हर बात सुुनती है 

मेरी डायरी।

मेरी डायरी और मेेेरी पेन मेरी दिल से बात करते हैं।

जब भी खुद को अकेला पाती  हूं

तब याद आती है डायरी की।

मायूसी की दास्तान सुनाती है डायरी

दोस्ती का फर्ज निभाती है डायरी।

 कुछ जो रह गया अरमानों में

वह जो छलक पड़ा आंखों में।

वही एहसास की दास्तान सुनाती है डायरी

जब भी भीड़ में अकेला कर जाता है कोई

दिल का हाल पूछती है डायरी

शिक्षा को और पूखता कर जाती है डायरी।

शब्द कोष का मान बढा जाती है डायरी।


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