नारी
नारी


क्या होगया इस समाज को
क्यों कुष्ठ रोगियों की यहां तादात बढ़ती जा रही
अगर दिया होता पद में बैठे लोभियों ने जनता का साथ तो
कर दिया होता इन पापियों को लहुलुहान
नहीं बढ़ती इन की हिम्मत।
पर अफसोस अपराधियों के लिए भी
मेरे देश में सबूत मांगे जाते हैं।
और यही नहीं उनको बचाने की मुहिम चल जाती है
और फिर बेटी बचाओ का नारा क्यों लगाते हो
इन को इंसान नहीं कुष्ठ रोगी नाम दिया जाना चाहिए
राम तेरे युग का रावण अच्छा था।
मेरे युग में सीता का जो हाल कर दिया इन पापियों ने
उसे देख कर रावण का भी सीना छलनी हो जाता।
पर हाय
ये हम कहां आ गये
जिनको तनिक भी दया न आई।
क्या करें और क्या कहें वेदना से हुआ दिल छलनी है।
भेद के दिल बच्चीयो का फिर भी कोई शर्म नहीं
कर रहे ये कैसा अभिनय देखो
इंसानियत की कोई बात नहीं करता
फिर ये कौन लोग हैं साहब
हमें दे दो आजादी
बन जाओ अब रणचडी का अवतार
कर डालो सर्वनाश इनका
कब तक मोमबत्ती जलाओगे
कब तक धरने पे बैठोगे
कब तक इंसाफ के लिए लड़ोगे
कब तक ।।।।
नहीं आती लज्जा इन को
कब तक अबला का दर्जा अपने आप को देते रहोगे
उठो जागो काली बन जाओ अब तो
करो सर्वनाश इन असुरों का
नाश करो कुदृष्टि का नाश करो नारी को अपमानित करने वालों का।