मेरी आख़री मोहब्बत
मेरी आख़री मोहब्बत
बरसो हो गए तुम्हे देखे हुए....
क्या एकबार ख्यालों में मिल सकती हो क्या?
थोड़ी देर रुक के दो बाते कर सकती हो क्या ?
वो जो बाते करते थे हम रात में जाग कर...
फिर से वो पल वापस लौटा सकती हों क्या ?
जो हाथ तुमने कभी ना छोड़ने के लिए थामी थी...
एकबार फिर वो मेरा हाथ थाम सकती हो क्या?
तुम्हारे जाने के बाद मेरी मुस्कान कहीं खो सी गई है...
मेरी वो मुस्कान वापस लौटा सकती हो क्या ?
हमने जों किए थे वादे एक दूसरे से....
उस वादे की अहमियत समझा सकती हो क्या?
हमने जो देखे थे सपने साथ में...
उसे अकेले कैसे पूरे करने है बता सकती हो क्या?
जब उदास होता था तो तुमसे बातें करता था....
अब किसे अपनी उदासी बताऊं ये बतला सकती हो क्या...
आज भी मायूस बैठा रहता हूँ तुम्हारे ख्यालों में..
एक बार कस के गले लगा सकती हो क्या....
अब नहीं होगी मुझे मोहब्बत किसी और से....
एक बार फिर तुम्हीं आ कर
मोहब्बत करना सीखा सकती हो क्या?