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Ruchi Singla

Abstract

4.5  

Ruchi Singla

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Meri Maa

Meri Maa

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माँ तुम हो मेरा आधार,

तुम्हारा प्यार है अपार,

जो न दे पायेगा कोई ओर।


चोट लगती है मुझे,

पर आँखों में ऑंसू आते है उसके,

मेरे बोलने से पहले ही समझले,

क्या है मेरी चाह,

ऐसी है मेरी माँ।


चाहे रहे दूर या पास,

आने में हो अगर थोड़ी सी देरी,

चिंता से है जी उसका घबराता,

नज़रे न उसकी झपकती, 

रास्ता बस मेरा तकती,

ऐसी है मेरी माँ।


चाहे दुनिया की नज़र में हो में मामूली,

पर मेरी माँ की नज़र में हूँ रानी।


नादान है वह लोग,

जो कहते है तुम्हे नाजुक,

में देखा

है तुम्हे हँसते हँसते,

हर मुश्किल पार करते।


खुद को भूल कर,रखती हो ख़याल सबका,

करती हर संभव कोशिश, न हो हमे तकलीफ जरा भी,

सुबह की पहेली किरण से उठाना,

शाम तक बिना रुके काम में लगे रहना,

सोचती हूँ आज भी,

कैसे कर लेती हो तुम यह सभी।


मकान को घर तुम बनती,

मेरा मायका है वहाँ जहाँ तुम हो रहती।

क्यूंकि तुम हो तो सब है,

हर पल जो बीते तुम्हारे साथ,

है बेहद ही ख़ास।


करती हूँ हाथ जोड़ कर येही वंदना,

हर जनम में मुझे तुम ही मिलना,

तुम सलामत रहो सदा,

क्यूंकि तुम में ही बस्ता है खुदा !


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