मेरे अल्फाज
मेरे अल्फाज
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चाँद से पूछो कभी क्यों
चकोर उसकी याद में
आँसू बहाता है
अगर इश्क इबादत है खुदा का
तो क्यों जमाना इश्क करनेवालों
को तड़पाता हैं ?
सोचा ना था उनसे मुलाकात होगी
यूँ ही किसी मोड़ पर आँखें चार होगी
अब बात जब इश्क पर आ ही गई है, तो
सात फेरे की रस्में उनके साथ ही होगी।