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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

मेरा दोस्त-मोबाइल फ़ोन

मेरा दोस्त-मोबाइल फ़ोन

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मेरे जीवन के साथी

जैसे दीया और बाती

तुम हो मेरे जीवन के पथ प्रदर्शक,

तुम हो मेरे जीवन की एक पाती


कहते हैं लोग 

तुम्हें मोबाइल फ़ोन

सब कामों के तुम्हीं हो नाती

तुमसे में यूट्यूब पर पढ़ता हूं

तुम हो मेरे गुरु की एक ख्याति

तुमसे ही आजकल विद्या है,


आती तुम हो मेरे जीवन की एक पाती

जब कहीं रास्ते में फंस जाता हूं

हर तरफ़ से रोने लग जाता हूं

तब तेरे गूगल मैप की मदद से,

मुझे आसानी से राह है, मिल जाती


मनोरंजन में तुझसे कोई शानी नहीं है

बच्चे क्या,बड़े क्या

तेरे सामने नहीं मांगता कोई पानी

पैसे का लेनदेन तुझसे सरल हुआ है

कभी गूगल पे, क़भी फ़ोन पे


आदि से तेरा गुणगान है जनता गाती

तुझसे कागज का इस्तेमाल कम हुआ है

तेरे डिजिटल उपयोग से,

पेड़ों की कटाई कम हुई है,

कुल्हाड़ी से सफ़ाई कम हुई है,


तुझसे है पेड़ों की है बच रही है जाति

तुम हो मेरे जीवन की एक पाती

लगता है मुझे तू,

अलादीन के चिराग़ जैसा


हर काम को तू जल्दी कर देता है

तू हैं जिन्न का ही एक बाराती

कहने वाले तुझे 

शैतान का देवता कहते है

उनको तेरी कीमत क्या पता


कभी क्या पत्थरों से खुश्बू है,

आती तू विज्ञान का वरदान है

सबके दिलों की शान है,

तेरा गर सही इस्तेमाल न करे,


तुझसे बड़ा नहीं कोई शैतान है

तू है एक परमाणु बम जैसा,

ऊर्जा तो है तुझमे बहुत सारी

तेरा सही उपयोग न हो तो,


पूरी दुनिया भी तुझसे है,

धूं धूं कर है ,जल जाती

मोबाइल फ़ोन काम के लिए है

मनोरंजन के लिये नहीं

ढंग से इसका उपयोग करना


सीख ले तू साखी

तू ही है परम् मित्र

तू ही है परम् शत्रु

कलियुग का तू ही है


सबसे बड़े हाथी

मेरे जीवन के साथी

जैसे दीया और बाती

तुम हो मेरे जीवन की एक पाती।


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