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Shailaja Pathak

Abstract

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Shailaja Pathak

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मेरा दिल

मेरा दिल

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मोमबत्ती जैसा ही जलने,

पिघलने व टपकने लगता है मेरा दिल,

फिर भी आज तक खत्म ना हुआ,

पूरा के पूरा तैयार है फिर से,

जलने, पिघलने, व टपकने को हमेशा,

ये कैसी नियति है?


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