STORYMIRROR

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

4  

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

मेरा भाई

मेरा भाई

1 min
519

मेरे लिए भगवान का प्रतिरुप है

मेरे भाई का बड़ा सलौना रूप है.


गलती होने पर जो डांटता है.

दुख मेरे जो हर पल बांटता है.

छाँव बन जाता ज़ब भी धूप है.

मेरे लिए भगवान का प्रतिरुप है

मेरे भाई का बड़ा सलौना रूप है.


कल जब पिताजी ने गलती करते पकड़ लिया

जाकर पिताजी की टांगों को जकड़ लिया.

मारो मत इसे यह तो अनूप है.

मेरे लिए भगवान का प्रतिरुप है

मेरे भाई का बड़ा सलौना रूप है.


ज़ब मेरे साथ चल दें तो साथ निभाता है.

मेरा भाई मुझे अब बहुत याद आता है.

ज़ब से गया शहर बन गया भूप है.

मेरे लिए भगवान का प्रतिरुप है

मेरे भाई का बड़ा सलौना रूप है.


अब कब हम एक साथ रह पाएंगे

भाई तुझको कब कब हम याद आएंगे

हमारे अँधेरे में तू ही तो धूप है.

मेरे लिए भगवान का प्रतिरुप है

मेरे भाई का बड़ा सलौना रूप है.


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract