STORYMIRROR

Brijlala Rohanअन्वेषी

Inspirational

4  

Brijlala Rohanअन्वेषी

Inspirational

मेरा बगीचा उजड़ गया

मेरा बगीचा उजड़ गया

1 min
322

मेरा बगीचा उजड़ गया, हाँ ! 

वही बगीचा उजड़ गया।        

जिसमें कभी खगों की चहचहाहट 

और कोयल की कूक से वातावरण

संगीतमय हो जाता था।                      


गिलहरीयों की धमा-चौकडी, 

कभी रंग- बिरंगी पंखों वाली सतरंगी, 

तितलियों के संगम से,

मन-विभोर हो जाता था।   

वही बगीचा उजड़ गया।                            


गौरेयों की चहलकदमी, 

चींटियों की लयबद्ध

कतार सब टूट गया।  

पर मुझे यकीं नहीं कि

मेरा बगीचा उजड़ा है।         


शायद, मेरा बगीचा तो 

उजाड़ दिया गया है।           

उन आततायियों से उन्होंने ही

धेले भर के विकास के लिए

हमारी हँसती- खेलती 

बगिया को उजाड़ दिया है।           


लेकिन फिर भी लोग कहेंगे,

कहीं न कहीं हमें भी भ्रम होगा कि

मेरा बगीचा उजड़ गया। 

उन यादगार लम्हों और खुशी के पलों को 

जो मैंने जिया है।


अब तो वो बिछड़ गया।

दुनिया की अंधी दौड़ में

खुद वो पिछड़ गया। 

हाँ मेरा, आपका हम

सबका बगीचा उजड़  गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational