मेड फॉर इच अदर
मेड फॉर इच अदर
क्या रूमानी थी वह शाम,
मोहब्बत की आंधी में जज्बातो के जाम।
प्रेमी बांध रहा था तारीफों के पुल,
कभी जुल्फ को घटा बताकर तो कभी हँसी को फूल।
प्रेमिका की नाजुक बाहों में वह रहा था झूल
कि अचानक उसने जरा जोर से प्रेमिका के बालों में फेरा हाथ
और यह क्या !
निकल आया गुच्छा एक साथ।
यह देख प्रेमी हैरान, प्रेमिका परेशान।
प्रेमिका की तो हलक में ही अटक गई जान।
बोली- लेटेस्ट फैशन का बनवाया है।
प्रेमी ने पूछा- कितने में आया है?
जबाब मिला- दस हज़ार।
सुन प्रेमी चिल्लाया,
क्या! कुछ ज्यादा नहीं है दाम।
मेरा तो पांच हज़ार में ही हो गया था काम।
इतना कहकर प्रेमी ने विग उतारा
और चमक उठा उसका भी चाँद सारा।
बोला- डोंट वरी बेबी।
अपनी तो बत्तीसी भी है नकली।
क्या! प्रेमिका चहकी, अपना भी तो वही हाल।
बनवाई बत्तीसी पिछले साल।
प्रेमी सुन मुस्कुराकर बोला-
तो अब हुए न हम मेड फॉर इच अदर,
तुम भी नकली दांत बाल साथ उधर,
अपना भी यही हाल इधर।
तो डार्लिंग, अब और मत घबराओ,
चलो, कसम खाओ
कि सारी जिंदगी अपने चाँद से चाँद मिलाएंगे
और अपनी ही चांदनी में दिन बितायेंगे।
