मौसम
मौसम
तेरे इश्क़ का इक दौर था
या थी कोई घड़ी
था मगर कोई अच्छा वक़्त
जो गुज़रा तो फिर लौटा ही नहीं
यूँ तो साँस आबाद है
ना रक्त की लहर रुकी
बस यादों का दरिया है
जो बहे तो थमता ही नहीं
रंगीन आँसुओं ने भी
लिखे सिराहने पे वाक् कयी
पर बेबाक़ दिल है
क़ैद रहेगा नहीं
मायूसी की ऋत है
या जुनूँ बेवजह कोई
क्या जी लूँ वो पल फिर
जहाँ तू कभी था ही नहीं
