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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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मौसम। 6

मौसम। 6

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नये प्रेम का नया मौसम यहाँ

जो निष्क्रिय था

वो सक्रिय हो उठा है

हम अपनी धारणा बदल रहे हैं


रचना सो रही है

रचनाकार जाग रहा है

कितना अच्छा लग रहा है

आप का यहाँ होना

आप का विचार


समाज को सुंदर बनाने की आप की सक्रियता

भ्रष्टाचार से मुक्त भारत का सपना

अपराध से मुक्त समाज की संकल्पना

और और भी अच्छा लगेगा


आप का इस बात से सहमत होना कि

भ्रष्टाचार और अपराध के विरुद्ध

आप का संघर्ष

सरकार विरोधी नहीं 

सरकार को समर्थन है।


नये प्रेम का नया मौसम है यहाँ

यहाँ कुछ बदल रहा है

हम बदल रहे हैं

हमारे विचार बदल रहे हैं

एक समझ उग रही है कि

सरकार संवैधानिक संकल्पना है


और भ्रष्टाचार, अपराध

सरकार में शामिल मनुष्य का

निजी सन्दर्भ है

जो सरकार विरोधी है

और सरकार सबकी है

सबके लिये है

और ये संवैधानिक रिश्ता

और मजबूत होना चाहिये।


आखिर हम मनुष्य है

मनुष्य से प्रेम कर सकते हैं

अपनी सरकार से प्रेम कर सकते हैं

प्रक्रति से प्रेम कर सकते हैं।

खुद से प्रेम कर सकते हैं।


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