जे. बी. सी. एन. का सफर
जे. बी. सी. एन. का सफर
याद है वो दिन जब रखा था पहला कदम
जे बी सी एन था तब एस. जे. बी. सी. एन.
डर को दिल में समेटे हिम्मत से भरकर मन
नए लोग नयी जगह नई थी चुनौतियाँ
कुछ अपने आप सँभाला,
कुछ साथियों नेदिखाया अपनापन
याद है वो दिन जब रखा था पहला कदम।
सफर आगे बढ़ता गया सफलता के साथ
मैं भी बढ़ी कुछ नया करती हरदम
उतार चढ़ाव तो काफी आए फिर भी हार नहीं मानी
कभी सीखा कभी चुका, कभी की नादानी
भरोसा रखा अपने पर की किसी का भरोसा है मुझपर
भरोसा न टूटा कभी इतना अटूट है ये बंधन
याद है वो दिन जब रखा था पहला कदम।
शिक्षण कैसा होता है ये सिखलाया
मंच संबोधन कैसे होता है ये बतलाया
यहाँ जितना सीखो उतना लगता है कम।
शब्द कम है अपनी अभिव्यक्ति को
इतना है सात सालों का अनुभव
बस देखती हूँ अपने को मुसकुराते हुए
जैसे है ये एक दर्पण
याद है वो दिन जब रखा था पहला कदम।
