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Guddu Bajpai

Abstract

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Guddu Bajpai

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घर कब आओगे

घर कब आओगे

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रुठा है मुझसे क्यों मेरा सनम

कि अब भी जमाने में जिन्दा हैं हम

शिकवा जो करते तुम्हें हम बताते

कुछ सुनते तुम्हारी कुछ अपनी सुनाते


बदरा भी बरसे सावन भी आया

तुम्हें ख्याल मेरा कभी न सताया

यादों के लम्हें हैं अब भी रूलाते

देके सदाएं हैं तुझको बुलाते


खता मेरी मुझको बता कर तो जाते

खुद को भी हम कुछ समझा पाते

सूनी है बगिया और घर का आंगन

झलकता है अब भी नैनों से सावन


लगन ऐसे नफरत से मिट न सकेगी

दुआएं भी भला क्या खुदा से कहेगी

जो वादा किया था निभाना पड़ेगा

जनम लेके दुनिया में फिर आना पड़ेगा


बातें करेंगे फिर आधी अधूरी

मिट जाएगी दरमियां की सभी दूरी

कयामत तक क्या मुझे तुम सताओगे

बस इतना बता दो कि घर कब आओगे।


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