मैंने बंधन तोड़ दिया
मैंने बंधन तोड़ दिया
मात-पिता एवम् भ्राता से रिश्ता-नाता जोड़ लिया
प्रिय प्रलाप करो कितना भी मैंने बंधन तोड़ दिया।
मैं निर्जीव तुम्हारे बिन प्रिय तुम हो प्राण हमारे
किन्तु मात-पिता और भ्राता हैं प्राणों से प्यारे
वो बोली भाई को छोड़ो मैंने उसको छोड़ दिया
प्रिय प्रलाप करो कितना भी मैंने बंधन तोड़ दिया।
मात-पिता एवम् भ्राता से रिश्ता-नाता जोड़ लिया
प्रिय प्रलाप करो कितना भी मैंने बंधन तोड़ दिया।
देह कमल सी कोमलता है अंग-अंग सुंदरता
प्रियतम प्रेम सिद्धता हेतु जो कहती सो करता
नदिया नहीं मिली संगम से प्रवाहन ही मोड़ दिया
प्रिय प्रलाप करो कितना भी मैंने बंधन तोड़ दिया।
मात-पिता एवम् भ्राता से रिश्ता-नाता जोड़ लिया
प्रिय प्रलाप करो कितना भी मैंने बंधन तोड़ दिया।
घृणा की घरवालों से और मुझसे प्रेम रचाया
कितने वर्षों 'अज्ञानी' ने यह सम्बन्ध निभाया
आज तुम्हारी कटु-वाणी ने मुझको तो झकझोड़ दिया
प्रिय प्रलाप करो कितना भी मैंने बंधन तोड़ दिया।
मात-पिता एवम् भ्राता से रिश्ता-नाता जोड़ लिया
प्रिय प्रलाप करो कितना भी मैंने बंधन तोड़ दिया।