मैं सुभाष हूँ
मैं सुभाष हूँ
मैं सुभाष हूँ,
जन जन की आस हूँ.
आजादी का सूत्रधार,
आजाद हिंद का फौजी हूँ.
नहीं सहा था अत्याचार,
शोषण के खिलाफ भरी हुंकार.
गोरों से ली जमकर टक्कर,
कालों से मैं हार गया.
क्रांति की ज्वाला उर में ले,
युवकों में जोश जगाया था.
भारत के बाहर से ही,
आज़ादी का बिगुल बजाया था.
कैसे आज़ादी पाएंगे,
यह सबको बतलाया था.
खून की नदियाँ पार करोगे,
तब आज़ादी आ पायेगी.
सशस्त्र संघर्ष से ही,
देश की गुलामी जायेगी.
जय हिंद का नारा देकर,
राष्ट्र को फिर से जगा दिया.
अस्थाई सरकार का गठन कर,
भारत का मान बढ़ा दिया.
अपनी सरकार बनें,
यह सपना,
नेता जी ने दिखलाया था.
अंग्रेज नहीं तुमसे,
अपने भी कुछ डरते थे.
इसी लिये समय समय पर,
भितरघात भी करते थे.
राजनीति से तुम जब दूर हुये,
सबकी नज़रों में तुम क्रूर हुये.
गर तुम भारत छोड़,
बाहर का रुख न करते.
आज भी हम,
आजादी के लिये तरसते.