मैं सिर्फ तुम्हें ही चाहूँगा
मैं सिर्फ तुम्हें ही चाहूँगा
हर पल जिंदगी का मैं तेरे लिए जी जाऊँगा
सच कहता हूं महबूब मेरे मैं सिर्फ तुम्हें ही चाहूँगा
छोड़कर हसीनों का मखमली आगोश, तपती रेत में दिन बिताऊँगा
सच कहता हूं महबूब मेरे में सिर्फ तुम्हें ही चाहूँगा
ठंडी बर्फ़ीली चोटियों पर बगैर कुछ कहे रह जाऊँगा
सच कहता हूं महबूब मेरे में सिर्फ तुम्हें ही चाहूँगा
जवानी की मस्ती, जिंदगी के शौक हर चीज भूल जाऊँगा
सच कहता हूं महबूब मेरे में सिर्फ तुम्हें ही चाहूँगा
बेटा, बाप, भाई, पति किसी फर्ज से मुँह नहीं छुपाऊँगा
फिर भी सच कहता हूं महबूब मेरे में सिर्फ तुम्हें ही चाहूँगा
रखने के लिए तेरे मान को, आखिरी कतरे तक रक्त बहाऊँगा
सच कहता हूं महबूब मेरे में सिर्फ तुम्हें ही चाहूँगा
जीऊँगा दिल में ज़ज्बात लेकर तेरे, या तिरंगे में लिपट कर आऊँगा
सच कहता हूं महबूब मेरे में सिर्फ तुम्हें ही चाहूँगा
