मैं शून्य में जाना चाहता हूँ !
मैं शून्य में जाना चाहता हूँ !
मैं शून्य में जाना चाहता हूँ !!!
दुनिया की चहल-पहल अब अच्छी नहीं लगती,
शांति के वन में अपना बसेरा बसाना चाहता हूँ,
विचारशून्य होना है मुझे,
मैं शून्य में से आया हूँ, मैं शून्य में जाना चाहता हूँ।
उज्ज्वल भविष्य की चिंता छोडकर,
बीते हुए समय में की हुई गलतियाँ भूलकर,
आज का आनंद 'शांति निकेतन' में बिताना चाहता हूँ,
मैं शून्य में से आया हूँ, मैं शून्य में जाना चाहता हूँ।
कुछ ख्वाबों को ख्वाब ही समझो तो वे बेहतर लगते है,
हकीकत में जब वे पूरे ना हो तो ठोकर देनेवाले पत्थर लगते है,
कोई नया ख्वाब बुन ना लूँ इसलिए लंबी नींद लेने से कतराता हूँ,
मैं शून्य में से आया हूँ, मैं शून्य में जाना चाहता हूँ।
उथल-पुथल सी मची रहती है हर पल दिमाग की नसों में,
हार जाता है तन-मन, जैसे जान ही ना बची हो शरीर की रगों में,
दिमाग के घरौंदे से यादों को विदा करना चाहता हूँ,
मैं शून्य में से आया हूँ, मैं शून्य में जाना चाहता हूँ।
असहज महसूस करता हूँ दुनिया की चकाचौंध में, मन यहाँ घबराता है,
खुद से मिल लेता हूँ अँधियारे में, अब तो वहीं सूकून मिल पाता है,
जिम्मेदारीयों के मलबे के तले मैं खुद को दबा हुआ पाता हूँ,
मैं शून्य में से आया हूँ, मैं शून्य में जाना चाहता हूँ।
