खामोशी
खामोशी
खामोश रहकर तू इतना कुछ कह देगा मैंने कभी सोचा न था,
अल्फाजों के बिना तू इतना कुछ बयाँ कर देगा मैंने कभी सोचा न था।
खामोशी यह तेरी परेशान कर रही हैं मुझे तु समझता क्यों नहीं,
झँझोड रही हैं तेरी यह खामोशी मुझे तु समझता क्यों नहीं।
खामोशी तेरी यह बता रही हैं कोई डर तो हैं जो तुझे सता रहा हैं,
जो बात तुझे परेशान कर रही हैं, वो बात तु मुझसे छुपा रहा हैं।
खामोश जो तु इतना हैं, इसकी वजह कहीं मैं तो नहीं,
तेरे अनजाने, अनकहे डर की वजह कहीं मैं तो नहीं।
खामोश क्यों हैं तु इन दिनों इतना, तेरी खामोशी का डर मुझे सता रहा हैं,
वैसे तो होगा तु जमानेभर का निडर,
लेकिन इन दिनों तु कुछ सहमा सहमा सा नजर आ रहा हैं।
खामोश न रह तु इस तरह तेरी खामोशी की वजह समझा दे मुझे,
एक तिनका विश्वास का रख दे मुझपर और आजमा ले मुझे !
