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कवि गुप्ता

Tragedy Others

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कवि गुप्ता

Tragedy Others

मैं मजदूर हूँ।

मैं मजदूर हूँ।

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मैं मजदूर हूँ,

न मजबूर हूँ,

पापी पेट है तो,

घर से दूर हूँ,


स्वेद से मैं तर हूँ,

उम्मीद का स्वर हूँ,

लालसा है जीने की,

गरीबी का समर हूँ,


चित्तक्षोभ रक्त हूँ,

हस्त है मैं सख़्त हूँ,

चमचमाते  दौर में,

खामोश कोई वक्त हूँ,


आँखों का सब्र हूँ,

सपनों की कब्र हूँ,

साथ मेरे मृत्यु है,

जिंदगी पर जब्र हूँ,


देश का आधार हूँ,

खुद ही निराधार हूँ,

कामनाएं क्या करूँ,

मैं स्वयं ही बेकार हूँ।



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