मैं...कल
मैं...कल
मैं....
कल भी वही था,
मैं....
आज भी वही हूँ....
और मैं जाने के बाद
भी वही रहूंगा,
मैं ना कल बदला,औऱ
मैं ना आज बदला,
मैं कल रोता हुआ आया था,
और आज हंसता हुआ जाऊँगा,
मैं कल भी माटी का था,
आज भी तो,
मैं...माटी का हूँ,
मैं... भी तो जन्मा "माँ" की
कौख से ही था,
नौ माह कौख में रखकर ही तो
"माँ" ने मुझे जन्म दिया,
तब भी
मैं... माटी का था, औऱ,
अब भी
मैं....माटी का हूँ,
तब "माँ" ने मुझे जन्म
दिया था, औऱ,
अब जब सबको छोड़
चला जाऊंगा,
मैं... सबसे मिलों दूर कहीं,
जब मां ने मुझे जन्म दिया था।
तब भी मैं.. माटी का ही था।
और अब भी माटी का ही हूं,
तब वापस नहीं आऊंगा,
जब इस दुनिया से दूर चला जाऊंगा,
और तुम लोगों को मैं बहुत
याद आऊंगा
....बहुत याद आऊंगा....
मेरी यह प्रखर क़लम सभी,
"माँ" से ही जन्म लेकर आया था,
और फिर एक दिन
माटी का शरीर मेरा माटी
में ही मिल जाऊंगा।
