मैं हिंदी हूँ
मैं हिंदी हूँ


मेरी बातों में
तुम्हारे जस्बातों में
हिंदी फिल्मों के गीतों में
बारिश के छीटों में
अम्मा के उस पुराने जाते में।
बूढ़ों की डांटो में
गलियों के चाटों में बनारस के घाटों में
हामिद के चिमटे में देश की माटी में
गांधी की लाठी में दिया कि बाती में
राजस्थान की रेती में
वीरों की क्रांति में फगुआ
बिरहा जैसे लोकगीतों में
देश के इन बढ़ते ढलते हालातों में
मस्जिद के नमाज तथा मंदिर के घंटों में
"हरिऔध" की कहानी में
युवाओं की जवानी में जिंदगी की रवानी में
मैं हिंदी हूँ....अभी थोड़ा लड़खड़ाने लगी हूँ ...
मैं हिंदी हूँ।