मैं औरत हूँ
मैं औरत हूँ
मैं औरत हूँ मेरा कुछ नही बस रहन है जिन्दगी,
कभी शीतल जल तो कभी अगन है जिन्दगी,
कभी खामौश कभी खिलखिलाती कभी सिसकियाँ,
कभी माँ कभी बेटी कभी पत्नी कभी बहन है जिन्दगी,
कभी आँचल छुपाती तार तार वसन है जिन्दगी,
कभी मन कर जीती कभी बेमन है जिन्दगी,
मुझसा ना है कोई योगी ना कोई संन्यासी,
अपना घर बाँधे रखुँ मेरा जतन है जिन्दगी,
पराया धन हूँ मगर मेरी बंधन है जिन्दगी,
सातफेरे या हो बचपन बस सितम है जिन्दगी,
मेरा जीवन जीवन नही है क्या... ?
क्या दहलीज पे ही खत्म है मेरी जिन्दगी...