मैं अलग हूं
मैं अलग हूं
मै थोड़ी अलग हूं आम लड़कियों सी नहीं
गलत सोचा है आपने मैं पागल भी नहीं
बस और लड़कियों की तरह मैं
बरसात से पागलों सी मोहब्बत नही करती
बल्कि बरसात में अक्सर तलाशती हूं
सच्ची मोहब्बत को जो बूंद बनकर बरसी है
मुझे लड़कियों की तरह सजना नही पसंद
मगर रंगो से सजाना बहुत पसंद है खुद को
मुझे ना चांद चाहिए महबूब से ,न तारे जमीं पर
मुझे बस चांद से हर रोज बात करना पसंद है
मुझे ना इश्क की तलाश ना ही
हमसफर की चाह है जिंदगी में
मुझे खुद के संग वक्त बिताना अच्छा लगता है
हां मैं नहीं जानती शायद आपके हिसाब से
जीना का सही सलीका होता क्या है
और वो हद जो तय की गई है लड़कियों के लिए
मगर मुझे खुले आसमाँ में उड़ जाना अच्छा लगता है।