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Prem Bajaj

Abstract

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Prem Bajaj

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मातृदिवस

मातृदिवस

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Happy mother's day to all lovely mother ❤️❤️


मातृदिवस


बच्चों के लिए भले मातृदिवस आता है साल में एक दिन, मगर मां कभी मां नहीं रहती केवल एक दिन। पकड़ मां की उंगली पहला पग भरता बच्चा, पहला शब्द भी तो मां ही कहता बच्चा।

मां तो मां है ना मरने के बाद भी रहेगी मां, दुःख हो या सुख संग में सदा रहेगी मां। बाद मरने के भी संग -संग बच्चों के परछाई बन के चलती मां, दुआ बन के पलती मां, आशीश बन के निखरती मां।

बांध कर बंडल दुआओं का सिर से वार देती मां, बच्चे की सारी बलाएं अपने सिर पर ले लेती मां, हर शख्स करता प्यार मतलब का, बेमतलब सदा प्यार करती मां, नहीं जिनकी मां, जब भी होता मन उदास तो चांद- सितारों में झलक दिखा अपनी दिखाती मां।

कभी रखती व्रत बच्चों के लिए तो कभी सुखा तन भी चुसवा भूखे बच्चे को अपने तन को और जलाती मां, भर के बच्चे का पेट खुद भूखी भी भरा पेट महसूस करती मां, मां जैसी कहीं ठंडी छांव नहीं, मां के आंचल से बड़ा कोई शहर या गांव नहीं।

नहीं व्याख्या मां की, ईश्वर से पहले है मां


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