।। मातृभाषा हिंदी ।।
।। मातृभाषा हिंदी ।।
आओ हम सब प्रण करें ,
हम हिंदी को अपनाएंगे
नित-प्रतिदिन इसका प्रयोग कर ,
जग में प्रशस्ति दिलवाएंगे ।।
हमारी हिंदी प्यारी भाषा
सब भाषाओं से न्यारी भाषा ,
भाई-चारे का पाठ पढ़ाती
जनमानस की दुलारी भाषा ।।
हिंदी को स्वयं पढ़कर,
जन-जन को पढ़ाएंगे
नित-प्रतिदिन इसका प्रयोग कर,
जग में प्रशस्ति दिलवाएंगे ।।
इसमें शब्दों का भरमार है ,
इसमें अपनापन का दुलार है
भावाभिव्यक्ति की यह भाषा है ,
इसमें अंतर्मन का प्यार है ।।
यह संवाद का माध्यम है ,
इसे भाषा का संचार बनाएंगे
नित-प्रतिदिन इसका प्रयोग कर ,
हम जग में प्रशस्ति दिलवाएंगे ।।
भारत के जन-जन की भाषा ,
जनमानस के मन की भाषा
उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिमब्,
जन-गण-मन और तन की भाषा ।।
हम सब क्षण-क्षण, प्रतिपल मिलकर ,
इसका गुणगान हम सब को सुनाएंगे
नित-प्रतिदिन इसका प्रयोग कर ,
हम जग में प्रशस्ति दिलवाएंगे ।