मानव
मानव
कहने को दुनिया है
पर इस दुनिया की हर बात निराली है
मानव की मुट्ठी में कुछ भी नही समाता
फिर भी हाथ फैलाता है
क्या ले लूं और कुछ न छोडूं दुनिया में
इस रीति को जानते हुए भी
बिन कुछ लिए दुनिया से खाली हाथ विदा हो जाता है।
कहने को दुनिया है
पर इस दुनिया की हर बात निराली है
मानव की मुट्ठी में कुछ भी नही समाता
फिर भी हाथ फैलाता है
क्या ले लूं और कुछ न छोडूं दुनिया में
इस रीति को जानते हुए भी
बिन कुछ लिए दुनिया से खाली हाथ विदा हो जाता है।