मानव रंगो पर मत जाओ
मानव रंगो पर मत जाओ
ये दुनिया काली होती है,
या अंधियारा काला होता है
काले से याद आया,
काले तो कपड़े होते हैं।
गोरों पर जो जचते हैं,
उनका जांचना भी हमारा भ्रम है
गौर फरमाओ,
कविता में एक क्रम है।
काले कपड़े काले ही होते हैं
लेकिन काले लोग,
अक्सर दिलवाले होते हैं।
इन दिलवालो की दुनिया में,
मेरा आना स्वीकार करो
ये दुनिया तो बेरागी है,
ये सोचकर बस तुम सत्कार करो।
अरे ! अपनी इन आँखो को देखो,
ये भी तो काली हैं,
फिर भी ये दुनिया,
इन आँखो की दीवानी है।
काले-गोरे के चक्कर में तो,
पाखंडी ही पड सकता है
रंगो की पहचान तो,
एक दिलवाला ही कर सकता है।
काले गोरे तो दुनिया के दो रंग हैं,
तुम कुछ भी व्यंग करो,
हम अंदर वाले के संग हैं।
रंगो की हिस्ट्री निराली होती है,
कुछ कहते है अंधियारा कला होता है,
कुछ कहते हैं दुनिया काली होती है।