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Swati Sagar Singh

Abstract

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Swati Sagar Singh

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मां

मां

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कच्चे रंगो की सजावट देखी 

पक्के रंगो की मिलावट देखी 

सालो साल से देखा है माँ को

ना उस्के चेहरे पर थकान देखी

चले तो हवा जैसी रुके तो छाव जैसी

प्यार करे मां दुर्गा जैसे

गुस्सा करे मां काली जैसे

दो दिन कि दुनिया मे

माँ बिन सब अधूरा है

माँ पर कभी गुस्सा ना करना यारो

वरना खुदा भी नाराज होता है।



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