मां
मां
क्या तुलना उस मां की सुरज- चांद - सितारों से
गंगा से, जमुना से, समुद्र से या नदियां हज़ारों से।
मां की ममता का कोई मोल नहीं, दुनियां में इसके
बराबर दुनिया में कोई मीठा बोल नहीं ।
सुख का सागर है मां, प्यार की गागर है मां, जब ना
मिला इश्वर को कोई अपने समय तो धरती पर भेजी मां।
कहां कोई लिख सकता मां के लिए, मां तो मां होती है
आंखों में आंसु खुशी के हैं या ग़म के पल में पहचान लेती है।
मान- अपमान धरा सी सब सहती है, अन्धकार में भी
उजाला देती, इसके दूध का कर्ज कहां कोई चुका सका
अंबा - धात्री, जननी, गुरू, इश्वर सभी में ही समाई मां।
देती जन्म, शिक्षा, संस्कार, इन्सानियत का पाठ पढ़ाती मां
बच्चों के लिए हर पल दुआ करती और दुआ बन जाती मां।
जीवन पथ पर आगे बढ़ना सीखाती मां,
मेरी ताकत, मेरा साहस, मेरी मां।