माँ मुझको दीदार करा दे
माँ मुझको दीदार करा दे
माँ मुझको दीदार करा दे,
कैसा संसार है तेरा।
लगी थिरकने जब मैं अन्दर,
बाहर लगा ये कैसा मंजर,
अश्कों का आंखों में समन्दर,
रो-रो हाल ,बुरा है तेरा।
माँ मुझको दीदार करा दे,
कैसा संसार है तेरा।।
गर मैं कभी ,तेरे घर आऊँ,
खुशियों से ,आँगन महकाऊँ,
बेटी नहीं, बेटा बन जाऊँ,
कभी साथ ना, छोडूं तेरा।
माँ मुझको ,दीदार करा दे
कैसा संसार है तेरा।।
जिद ना कभी ,मैं ऐसी करती,
देख निगाहें ,तेरी डरती,
पर तुझपे ,दिल जान से मरती,
खेलती खेल घणेरा।
माँ मुझको ,दीदार करा दे,
कैसा संसार है तेरा।।
तेरी आँख में आँसू ,देख ना पाऊँ,
हँस-हँस कर ,तेरा दिल बहलाऊँ,
पर अपने अश्क ,रोक ना पाऊँ,
फिर टूट जाये, दिल मेरा।
माँ मुझको ,दीदार करा दे,
कैसा संसार है तेरा।।
यूँ इतना मैं ,पढ लिख जाऊँ,
दूध ना तेरा ,कभी लजाऊँ,
नाम तेरा ,रोशन कर जाऊँ,
इक यही , प्रण हो मेरा।
माँ मुझको ,दीदार करा दे
कैसा संसार है तेरा।।
शायद मेरी बात ,समझ ना पायी,
और कौनसी ,दूँ मैं सफाई,
बरसों से प्राण ,मेरे हरती आयी,
बता क्या कसूर, है मेरा।
माँ मुझको ,दीदार करा दे
कैसा संसार है तेरा।।
