माँ की डांट
माँ की डांट
छेनी की चोट को जो
पत्थर सह न पाए
मूरत भला बनेगा कैसे
कैसे पूजा जाए।
माँ की डाँट है छैनी जैसी
भले हृदय को चीरे,
लेकिन बच्चे को तराश
अच्छा इन्सान बनाये।
सबसे बड़ी कुम्हार है माँ
ऐसी मूरत गढ़ डाले
दोष रहित हो जिसकी सीरत
सद्गुण रखे संभाले रखे।