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माँ के सपने

माँ के सपने

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बसा हुआ है जो आँखों में मेरी

मेरा लाल है वो

शाम सवेरे देखूं उसके लिए

मेरा ख्वाब है जो।

ना बाँधू किसी बेड़ी में उसको

आज़ाद है वो

आकाश को छुए

तारों को पाए

उसमें बात है वो।


ना रखूँ कोई अपेक्षा

जहाँ जाए आबाद रहे

समृद्ध रहे

पा ले जीवन का बहुमूल्य लक्ष्य

असहाय गरीब की सहाय करे।

सबसे रखे आदर भाव

प्रेम की सद्भावना हो

मन में ना हो कोई मैल

सिर्फ अमृत जल बहे।


जिए मेरा लाल जैसे

जिए लाल, बाल, पाल

निडर हो, सत्य का रक्षक हो।

महिलाओं का सम्मान

हो परम कर्तव्य

मीठा बोले

अच्छे गुटों का अध्यक्ष हो।


इतना - सा सपना है मेरा

कर दे इस को जल्दी पूरा

बसे तुझ में मेरे प्राण

मान ले इसको

रख ले मान।।


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