STORYMIRROR

Happy Kumar

Abstract

5.0  

Happy Kumar

Abstract

माँ का प्यार

माँ का प्यार

1 min
273


जब दुनिया मुझसे रूठ गई,

तो तू ही बस मेरे साथ रही।

जब सबने मेरे हाथ छोड़ दिये,

तो बस तू ही इसे थामे रही।


जब मैं बिल्कुल पड़ गया अकेला,

तो तू ही बन गयी मेरी साथी।

मुश्किलें जब टूट पड़ी मुझ पर,

तो तेरे होने के एहसास ने मजबूती दी।


इस जहान चाहे जितना प्यार भी दे दे मुझे,

पर तेरा प्यार हमेशा अनमोल ही रहेगा।

चाहे कोई कितनी भी कद्र करले मेरी,

पर ऐ माँ ! तेरा साथ नौ महीने ज़्यादा ही रहेगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract