मालूम नहीं मुझे
मालूम नहीं मुझे
मालुम नहीं मुझे ये मेरी बेइम्तहां मोहब्बत का क्या होगा इन्तकाम
तेरे इश्क़ बगेर की ये नशीली रातों का क्या होगा अंजाम
चला जा रहा हूं अंजान सफर में पता नहीं मोहब्बत साथ होगी
बहाय जा रहा हूं अकेले अपने आँसूं पता नहीं जुदाई साथ देगी
एक तुझे अपनाने की खातिर अपनों से दूर होता जा रहा हूं।
पता नहीं तू मोहब्बत करती है या नहीं
बस तू खुश रहे दुआ करता हूं
तू छोड़ ना दे उसे भी इस सफर में सोचकर डरता हूं
मैनें तो जी ली अपनी उमर वो कैसे काटेगा हर पहलू
आँख बन्द करूं लगता है हर घड़ी ये डर
तू ना दिख जाए ख्वाबों में किसी और के हमसफर।
नहीं छलकती आँखें इस सूरज की रोशनी में
कहीं देख ना ले मेरी माँ मेरी जख्में मेरी आंखों में
नहीं जानता फिर भी देखता हूं सपने कोई हमसफर के।
इस जरिये दिल को तसल्ली कि
मेरे तेरे गम से कि कोई तो है जीवन में
किस्मत में नहीं उसे पाने को इतना बेशुमार न रहता
मिल जाए तेरे अलावा कोई अनजान सफर तो
इतना उदास न रहता।

