Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Hitesh Panwar

Abstract

5.0  

Hitesh Panwar

Abstract

रिश्तों की पोटली

रिश्तों की पोटली

1 min
363


जब तू ना निभा सके इन रिश्तों को,

फिर क्यूं कैद करे जीवन में इन रिश्तों को,

कुछ अहमियत नहीं तेरे लिये ये रिश्ते की,

फिर क्यूं दिखावा करे उन्हे निभाने की,

नहीं तेरे लिये कोई भाई बहन माँ और बाप ,

फिर क्यूं परिवार में रहने का फोकट करे पाप,

जब तू ना निभा स्के रिश्तों को,

फिर क्यूं कैद करे जीवन में रिश्तों को,

नहीं वक्त तेरे पास अपनों के लिये,

फिर क्यूं बांधे" रिश्तों की पोटली"

जब तेरे से ही सहन नहीं होती रिश्तों की खटास ,

फिर क्यूं देता फिरता है लोगों को रिश्तों की सलाह,

जब तुम आये इस धरती पर माँ बाप के जरिये ,

सम्मान देने क्क औकात नहीं बेइज्जत मत करिये ,

तेरे अकेलेपन की वजह है तेरी अकड़

बता जब तेरे से ही सहन नहीं होती रिश्तों की खटास ,

फिर क्यूं देता फिरता है लोगों को रिश्तों की सलाह,

जब तू ना निभा सके इन रिश्तों को ,

फिर क्यूं कैद करे जीवन में रिश्तों को।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract