माचिस का घर
माचिस का घर
बचपन में माचिस का एक
घर बनाया था मैंने
सबने अपने बारे में सोचा होगा
मेने उसका घर सजाया था !
शायद तब मेने खिलोने से खेलना छोड़
नई चीजें सोचना शुरू कर दिया था !
अचानक से ख्याल आया
अरे ये बेचारा माचिस
अपने दोस्तों से बिछड़
अकेले कैसे रह पायेगा
दो वल्द दफ़्ती जोड़
उसका घर बनाया था !
उसमे एंटेना भी लगाया था
ताकि अकेले रह के बोर न हो जाये वो
और स्केल को उसका पहरेदार बनाया था
इतना सुन्दर सुनहरा घर
देख़ते भर मन मोह लेने वाला घर !
हम अक्सर इसमें ही उलझे रहते
ये तेरा घर,
ये मेरा घर
वो जब अकेले रह जाते हैं
तो वो गुजरे कहकहे याद आता है ,
तकरार में भी छुपा प्यार याद आता है !
अज़ी नुक्स तो सबमें ही
कुछ न कुछ होते ही हैं,
ये सब छोड़ अच्छी चीजें
अच्छी यादें दिलों में सजोइये,
वक्त कट जाता है कोई भी
जरा दिल से कोशिश तो कीजिये !
ये था माचिस का घर।