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Rashi Rai

Abstract

3  

Rashi Rai

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माचिस का घर

माचिस का घर

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बचपन में माचिस का एक

घर बनाया था मैंने 

सबने अपने बारे में सोचा होगा 

मेने उसका घर सजाया था !

शायद तब मेने खिलोने से खेलना छोड़ 

नई चीजें सोचना शुरू कर दिया था !


अचानक से ख्याल आया 

अरे ये बेचारा माचिस 

अपने दोस्तों से बिछड़ 

अकेले कैसे रह पायेगा 

दो वल्द दफ़्ती जोड़ 

उसका घर बनाया था !


उसमे एंटेना भी लगाया था 

ताकि अकेले रह के बोर न हो जाये वो 

और स्केल को उसका पहरेदार बनाया था 

इतना सुन्दर सुनहरा घर 

देख़ते भर मन मोह लेने वाला घर !


हम अक्सर इसमें ही उलझे रहते 

ये तेरा घर,

ये मेरा घर

वो जब अकेले रह जाते हैं 

तो वो गुजरे कहकहे याद आता है ,

तकरार में भी छुपा प्यार याद आता है !


अज़ी नुक्स तो सबमें ही

कुछ न कुछ होते ही हैं,

ये सब छोड़ अच्छी चीजें 

अच्छी यादें दिलों में सजोइये,

वक्त कट जाता है कोई भी 

जरा दिल से कोशिश तो कीजिये !

ये था माचिस का घर। 


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