लॉकडाउन में बदली जीवनशैली
लॉकडाउन में बदली जीवनशैली
लॉकडाउन में घर में बैठे-बैठे बढ़ गया है मोटापा
वजन बढ़ गया इतना की कामकाज नहीं हो पाता
प्रतिदिन घर में एक से बढ़कर एक पकवान बनता
हर इंसान बेकाबू होकर बस पूरा दिन खाता रहता
सोचा ना किसी ने कल जब सब कुछ खुल जाएगा
मोटापे के कारण क्या दौड़ भाग फिर से कर पाएगा
बस स्टॉप तक पहुंचने में ही शरीर पूरा थक जाएगा
फिर दौड़ दौड़ कर कैसे कोई बस को पकड़ पाएगा
जोश में तो इतना खा लिया अब पछतावा हो रहा है
घड़ी घड़ी मशीन में जाकर अपना वजन नाप रहा है
सिर्फ मशीन में अपना वजन नापने से कुछ ना होगा
स्वस्थ शरीर बनाने को व्यायाम भी तुम्हें करना होगा
बच्चे भी घर में बैठे-बैठे खेलना -कूदना भूल गए हैं
मोबाइल और लैपटॉप में अपनी दुनिया बना चुके हैं
खेलकूद है कितना जरूरी बच्चों को समझाना होगा
खेलकूद को जीवन का आवश्यक अंग बनाना होगा
व्यायाम, खेलकूद के साथ आहार भी महत्व रखता है
अच्छा आहार मिले तो हमारा तन-मन स्वस्थ रहता है
किंतु आहार को बेकाबू होकर लेना अच्छा नहीं होता
स्वास्थ्य भी बिगड़ जाता है और मोटापा भी हो जाता
माना इस लाकडाउन ने बदल दी हमारी जीवनशैली
किन्तु इसको फिर से वापस हमें पटरी पर लाना होगा
खेलकूद ,व्यायाम और संतुलित आहार को अपनाकर
अपनी जीवनशैली को फिर पहले जैसा बनाना होगा।
