लॉकडाउन और गोलगप्पे
लॉकडाउन और गोलगप्पे
लॉकडाउन में बंद हो गए।
ठेले गोलगप्पे के,
अब ना कहीं पर,
मिलते चने -भटूरे ।
ना पिज्जा, ना समोसे।
ना लड्डू हलवाई के।
लॉकडाउन में बंद हो गए।
घर में बंद होकर ,
बच्चों ने फेसबुक पर नजर दौड़ाई।
इस आंटी ने यह बनाया।
उस अंकल ने यह है खाया।
बच्चों ने बात सुनाई।
आप भी बनाओ..... कुछ ।
रोटी नहीं सुहाई ।
लॉकडाउन में बच्चे ,
मां में ढूंढे हलवाई।।
लॉकडाउन में बंद हो गए ।
खैर ...खुद को हिम्मत दे कर।
तुम ....क्या नहीं कर सकती ।
मन को बात समझाई।
गोलगप्पे बनाने की,
मैंने भी नीति बनाई ।।
बने गोलगप्पे ,
खा गए झटपट।
हर गोलगप्पे पर,
यही बात सुनाई।
ठेले पर खाते थे जब ।
वैसीे स्वाद नहीं आई।
वैसी स्वाद नहीं आई।।
