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Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

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Preeti Sharma "ASEEM"

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लॉकडाउन और गोलगप्पे

लॉकडाउन और गोलगप्पे

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 लॉकडाउन में बंद हो गए।

 ठेले गोलगप्पे के,

 अब ना कहीं पर,

 मिलते चने -भटूरे ।

ना पिज्जा, ना समोसे।

 ना लड्डू हलवाई के।


 लॉकडाउन में बंद हो गए।

 घर में बंद होकर ,

बच्चों ने फेसबुक पर नजर दौड़ाई।


 इस आंटी ने यह बनाया।

 उस अंकल ने यह है खाया।

 बच्चों ने बात सुनाई।


आप भी बनाओ..... कुछ ।

रोटी नहीं सुहाई ।

लॉकडाउन में बच्चे ,

मां में ढूंढे हलवाई।।


लॉकडाउन में बंद हो गए ।


खैर ...खुद को हिम्मत दे कर।

तुम ....क्या नहीं कर सकती ।

मन को बात समझाई। 


गोलगप्पे बनाने की,

 मैंने भी नीति बनाई ।।


बने गोलगप्पे ,

खा गए झटपट।

 हर गोलगप्पे पर, 

 यही बात सुनाई।


 ठेले पर खाते थे जब ।

 वैसीे स्वाद नहीं आई।

 वैसी स्वाद नहीं आई।।



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