लोकप्रियता है
लोकप्रियता है
लोकप्रियता सफर में है,
लेकिन
उसकी सार्थकता दृष्टि से परे है।
कवि थे
उगाते थे शब्द
उगाने लगे रोटी
किसान थे
उगानी थी रोटी
उगाने लगे नारा।
आंदोलन था
आंदोलनकारी थे
सरकार थी,
सत्ता थी।
जरूरतें थीं,
मजबूरियां थी
सहयोग था
दमन था
जिम्मेदारी थी।
आंदोलन है
अनभिज्ञ है उससे
जिसके विरुद्ध आंदोलनरत हैं
सत्ता है
अनभिज्ञ है आंदोलनकारियों से।
यह सब है
लगभग निष्प्रयोज्य
पर लोकप्रियता है और
बढ़ती जा रही है
बढ़ती जा रही है।
