लोकनायक तुलसीदास
लोकनायक तुलसीदास
सादर नमन है तुमको तुलसी,
करते हैं शत शत वंदन।
फैले सारे बन प्रदेश में,
तुम ही हो सुरभित चंदन।।
सादर नमन है------------
राम कथा का गायन करके,
सबको अमृत पिला दिया।
राम नाम का सुंदर दीपक,
घर-घर सबके जला दिया।
सादर नमन है -----------
शिव शंभू के प्यारे तुलसी,
करते हैं सादर अभिनंदन।
रामायण की रचना करके,
सबके काटे भव बंधन।
सादर नमन है------------
कलयुग के भटके जीवों को,
तुमने राह दिखाई है।
ज्ञान भक्ति और कर्म त्रिवेणी,
मानस द्वारा बहायी हैं।
कर्ज तुम्हारा बड़ा है तुलसी,
तभी बने तुम जग बंधन।
राम नाम का गायन करके,
मिट गए सब के भाव क्रंदन।।
सादर नमन है तुमको तुलसी,
करते हैं शत शत वंदन।
फैले सारे वन प्रदेश में,
तुम ही हो सुरभित चंदन।।
