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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

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लक्ष्य

लक्ष्य

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सपना जगाया दिल में तो रात फिर सारी हुई।

स्वयं से बनती नहीं,अब लक्ष्य से यारी हुई।


हौसलों को दिल में रखना बनना हो जब ख़ास।

नजदीक आती जाएंगी मंजिल सभी हारी हुई।


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