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Nandkishor bhoi

Classics

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Nandkishor bhoi

Classics

लिखता हु कलम से .....

लिखता हु कलम से .....

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लिखता हूँ कलम से कलम पे 

हर किसी को इसी पर नाज है 


गुंगे की भी यह आवाज़ है 

जिसे मिल गई इसकी शक्ति


जिधर ऊधर उसका राज है 

आज से नहीं यह

सदियों पुराना रिवाज है 


चल गई यह जिस पर

काम का बन जाता वो कागज है 

लिखता हूँ कलम से कलम पे।


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