लिखना चाहता तुम्हें
लिखना चाहता तुम्हें
मैं लिखना चाहता हूँ
तुम्हें गुजरते हर पल की तरह
मैं जीना चाहता
तुम्हें एक जाँ की तरह
मैं सँवारना चाहता
तुम्हें पनपते नवजात ख्वाब की तरह
तुम ही अबतक
रोक रखी मेरे भाव को बंदिश में
आसमां बन फासले रख दी हो
अरमाँ पे मेरे मैं चूमना चाहता
तुम्हें उन्मुक्त उड़ान भर खग की तरह
मैं छुना चाहता
ह्र्दय तुम्हारे साँस की तरह
कमियॉं तो बहत है
मुझमें सदियों से मगर
मैं रहना चाहता प्रेम बन तुममें
सदा तुम्हारे पवित्रता की तरह
मैं लिखना चाहता हूँ
तुम्हें गुजरते हर पल की तरह
मैं जीना चाहता
तुम्हें एक जाँ की तरह
मैं सँवारना चाहता
तुम्हें पनपते नवजात ख्वाब की तरह।